प्रेम नच जाई तेथें
प्रेम नच जाई तेथें, जिवासी जीव न जडे जेथें ।
अनुसरतांना जडतें नातें, जीवा जीव एक कार्य भेटवितें ॥
अनुसरतांना जडतें नातें, जीवा जीव एक कार्य भेटवितें ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ पं. कुमार गंधर्व ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | स्वयंवर |
राग | - | बागेश्री |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | कोन गत भइ |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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