पायो री मैं ने राम रतन
पायो री मैं ने राम रतन धन पायो ॥
वस्तु अमोलिक दिजे मेरे सत्गुरू ।
कृपा करी अन् पायो ॥
जनम जनम की पुंजी बांधी ।
जग में सभी खोवायो ॥
सत् की नाव खेवटीया सत्गुरू ।
भवसागर तर आयो ॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर ।
हरख हरख जस गायो ॥
वस्तु अमोलिक दिजे मेरे सत्गुरू ।
कृपा करी अन् पायो ॥
जनम जनम की पुंजी बांधी ।
जग में सभी खोवायो ॥
सत् की नाव खेवटीया सत्गुरू ।
भवसागर तर आयो ॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर ।
हरख हरख जस गायो ॥
गीत | - | संत मीराबाई |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ पं. डी.वी. पलुस्कर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
चित्रपट | - | साध्वी मीराबाई |
राग | - | दुर्गा |
ताल | - | केरवा |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, चित्रगीत |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.