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मद्य-वपु-घट लत्ताप्रहारें

मद्य-वपु-घट लत्ताप्रहारें फुटत हे,
रुधिरसम मत्तमद वाहे, न भू भार साहे ॥

मधु-वध-कुपित समर जरि गुरुवर करी घोर,
विगतविजय कच नोहे ॥