मार ही ताटिका रामचंद्रा
जोड झणिं कार्मुका
सोड रे सायका
मार ही ताटिका, रामचंद्रा !
दुष्ट मायाविनी
शापिता यक्षिणी
वर्तनीं दर्शनीं, ही अभद्रा
तप्त आरक्त हीं पाहतां लोचनें
करपल्या वल्लरी, करपलीं काननें
अतुलबलगर्विता
मूर्त ही क्रूरता
ये घृणा पाहतां, क्रूर मुद्रा
ऐंक तें हास्य तूं, दंत, दाढा पहा
मरुन हस्ती जणूं, भरुन गेली गुहा
मृत्यु-छाया जशी
येतसे ही तशी
ओढ दोरी कशी, तोड तंद्रा
थबकसी कां असा? हाण रे बाण तो
तूंच मृत्यू हिचा, मी मनीं जाणतो
जो जनां सुखवितो
नारीवध क्षम्य तो
धर्म तुज सांगतो, मानवेंद्रा !
दैत्यकन्या पुरा, ग्रासुं पाहे धरा
देव देवेंद्रही, मारि तैं मंथरा
विष्णु धर्मोदधी
शुक्रमाता वधी
स्त्री जरी पारधी, अरि मृगेंद्रा
धांवली लाव घे, कोप अति पावली
धाड नरकीं तिला, चालल्या पावलीं
बघती तव विक्रमां
देव पुरुषोत्तमा
होऊं दे पौर्णिमा, शौर्यचंद्रा
सोड रे सायका
मार ही ताटिका, रामचंद्रा !
दुष्ट मायाविनी
शापिता यक्षिणी
वर्तनीं दर्शनीं, ही अभद्रा
तप्त आरक्त हीं पाहतां लोचनें
करपल्या वल्लरी, करपलीं काननें
अतुलबलगर्विता
मूर्त ही क्रूरता
ये घृणा पाहतां, क्रूर मुद्रा
ऐंक तें हास्य तूं, दंत, दाढा पहा
मरुन हस्ती जणूं, भरुन गेली गुहा
मृत्यु-छाया जशी
येतसे ही तशी
ओढ दोरी कशी, तोड तंद्रा
थबकसी कां असा? हाण रे बाण तो
तूंच मृत्यू हिचा, मी मनीं जाणतो
जो जनां सुखवितो
नारीवध क्षम्य तो
धर्म तुज सांगतो, मानवेंद्रा !
दैत्यकन्या पुरा, ग्रासुं पाहे धरा
देव देवेंद्रही, मारि तैं मंथरा
विष्णु धर्मोदधी
शुक्रमाता वधी
स्त्री जरी पारधी, अरि मृगेंद्रा
धांवली लाव घे, कोप अति पावली
धाड नरकीं तिला, चालल्या पावलीं
बघती तव विक्रमां
देव पुरुषोत्तमा
होऊं दे पौर्णिमा, शौर्यचंद्रा
गीत | - | ग. दि. माडगूळकर |
संगीत | - | सुधीर फडके |
स्वराविष्कार | - | ∙ सुधीर फडके ∙ आकाशवाणी प्रथम प्रसारण ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
राग | - | शंकरा |
गीत प्रकार | - | गीतरामायण, राम निरंजन |
टीप - • गीतरामायण. | ||
• प्रथम प्रसारण दिनांक- २७/५/१९५५ | ||
• आकाशवाणीवरील प्रथम प्रसारण स्वर- राम फाटक. |
अरि | - | शत्रु. |
कानन | - | अरण्य, जंगल. |
कार्मुक | - | धनुष्य. |
झणी | - | अविलंब. |
तंद्रा | - | गुंगी / आळस. |
ताटिका | - | त्राटिका. सुकेतुयक्षाची कन्या. मारिच व सुबाहू राक्षसांची माता. |
मृगेंद्र | - | सिंह. |
मंथरा | - | कुटिल स्त्री, कुबड असलेली कैकयीची दासी. हिने कैकयीचे मन कलुषित केले होते. |
यक्ष | - | उपदेवता, इंद्राचे सेवक. |
लाव | - | राक्षसी, डाकिण. |
वल्लरी | - | वेल (वल्ली, वल्लिका). |
शुक्र (शुक) | - | शुक्राचार्य, व्यासपुत्र. हा जन्मत: तत्त्वज्ञानी व आजन्म ब्रह्मचारी होता. |
सायक | - | बाण. |
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