लग्नविधींतील खरें मर्म
लग्नविधींतील खरें मर्म काय । ठाऊक तें मुळिंहि तुज नसे ॥
वैवाहिक होममंत्र अंतःपट अक्षतादि ।
पोषक हे विधि, मिळणीं जीव जिवा सार हें असे ॥
वैवाहिक होममंत्र अंतःपट अक्षतादि ।
पोषक हे विधि, मिळणीं जीव जिवा सार हें असे ॥
गीत | - | गो. ब. देवल |
संगीत | - | गो. ब. देवल |
स्वर | - | बालगंधर्व |
नाटक | - | संशयकल्लोळ |
राग | - | पहाडी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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