कुसुमा विधि चारु कान्त
कुसुमा विधि चारु कान्त । निर्मी आमोदशान्त ।
परि नाशा त्यासंगें कीटकासि मूढ सृजित ॥
अखिलभुवनभूषणा प्रेरि जगतिं नरवरासि ।
दनुज तया, कां नकळे, नाशाया मग निर्मित ॥
परि नाशा त्यासंगें कीटकासि मूढ सृजित ॥
अखिलभुवनभूषणा प्रेरि जगतिं नरवरासि ।
दनुज तया, कां नकळे, नाशाया मग निर्मित ॥
गीत | - | वि. सी. गुर्जर |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वर | - | मास्टर कृष्णराव |
नाटक | - | नंद-कुमार |
राग | - | यमन |
ताल | - | एकताल |
चाल | - | सैयां तुम बोल |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
आमोद | - | आनंद / सुगंध. |
चारू | - | सुंदर. |
दनु | - | दानव, दैत्य. |
सृजन | - | निर्मिती. |
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