झन झननन छेडिल्या तारा
झन झननन छेडिल्या तारा
पदी नूपुर बोलती तत्कारा
मदन मेनका मस्त मयूरी
आरसपानी रूप बिलोरी
नर्तनातुनी आवर्तन हे उधळी रंग पिसारा
यौवनातल्या वनी उर्वशी
प्रणय खेळते रेशीम स्पर्शी
लहरीमधुनी बहर येऊ दे आतुरल्या शृंगारा
सूर-ताल जणू संगम झाला
शब्द सुगंधी मधात न्हाला
मुके होउनी धुके मुलायम बरसत अमृतधारा
पदी नूपुर बोलती तत्कारा
मदन मेनका मस्त मयूरी
आरसपानी रूप बिलोरी
नर्तनातुनी आवर्तन हे उधळी रंग पिसारा
यौवनातल्या वनी उर्वशी
प्रणय खेळते रेशीम स्पर्शी
लहरीमधुनी बहर येऊ दे आतुरल्या शृंगारा
सूर-ताल जणू संगम झाला
शब्द सुगंधी मधात न्हाला
मुके होउनी धुके मुलायम बरसत अमृतधारा
गीत | - | जगदीश खेबूडकर |
संगीत | - | विश्वनाथ मोरे |
स्वर | - | सुरेश वाडकर |
चित्रपट | - | हळदी कुंकू |
राग | - | मधुवंती |
गीत प्रकार | - | चित्रगीत |
आरसपान | - | संगमरवरी दगड. |
बिलोरी | - | काचेचे. |
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