जय जय कुंजविहारी
जय जय कुंजविहारी, घनश्याम मुरारी
तव विजय दुंदुभी दुमदुमते संसारी
रे नंदनंदना तव करुणेचा पूर
करितसे लीलया दुरित संकटे दूर
तू भवभय हारी, भक्तांचा कैवारी
तव विजय दुंदुभी दुमदुमते संसारी
रे नंदनंदना तव करुणेचा पूर
करितसे लीलया दुरित संकटे दूर
तू भवभय हारी, भक्तांचा कैवारी
गीत | - | विद्याधर गोखले |
संगीत | - | वसंत देसाई |
स्वर | - | भालचंद्र पेंढारकर |
नाटक | - | शाब्बास बिरबल शाब्बास |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर, नाट्यसंगीत |
कुंजविहारी | - | कृष्णाचे एक नाव. |
दुंदुभि | - | नगारा, एक वाद्य. |
दुरित | - | पाप. |
भव | - | संसार. |
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