हरिहरा ओंकार मनोहर
हरिहरा ओंकार मनोहर
नादब्रह्म सत्यम् शिवसुंदर
सप्त स्वरांच्या स्वरगंगेचा
ओघ चालला अखंड अंतरी
विझतील कधी न वन्ही विद्वेशाचे
पाषाणासही फुटेल पाझर
नादब्रह्म सत्यम् शिवसुंदर
सप्त स्वरांच्या स्वरगंगेचा
ओघ चालला अखंड अंतरी
विझतील कधी न वन्ही विद्वेशाचे
पाषाणासही फुटेल पाझर
गीत | - | वसंत गात |
संगीत | - | माणिकराव ठाकुरदास |
स्वर | - | पं. राम मराठे |
नाटक | - | बैजू |
राग | - | भटियार |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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