हा हिणवाल जरि फार
हा हिणवाल जरि फार, ना दिसे संसारपार ॥
लांबला आनंद सुखवितां दमला;
आधार गेला, सुखा मुकला ॥
लांबला आनंद सुखवितां दमला;
आधार गेला, सुखा मुकला ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वर | - | पं. यशवंतबुवा जोशी |
नाटक | - | द्रौपदी |
राग | - | खमाज, जिल्हा |
ताल | - | झपताल |
चाल | - | आज आनंद मुखचन्द्र |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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