घाई नको बाई अशी
घाई नको बाई अशी आले रे बकुळफुला
देते जलसंजीवन बंधुजीव आसुसला
नको नको घाई नको बाई अशी आले रे बकुळफुला
कळे न काही आज असा का अशोक हिरमुसला
थांब जरा मंदारा विसरले न मी तुला
पिउनि चांदणे सरात चांदरात ओसरता
खुणावीत मधुनलिनी बोलविती हळूच मला
देते जलसंजीवन बंधुजीव आसुसला
नको नको घाई नको बाई अशी आले रे बकुळफुला
कळे न काही आज असा का अशोक हिरमुसला
थांब जरा मंदारा विसरले न मी तुला
पिउनि चांदणे सरात चांदरात ओसरता
खुणावीत मधुनलिनी बोलविती हळूच मला
गीत | - | राजा बढे |
संगीत | - | पं. जितेंद्र अभिषेकी |
स्वर | - | आशा खाडिलकर |
नाटक | - | धाडिला राम तिने का वनी? |
राग | - | मिश्र पहाडी |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
नलिनी | - | कमळ. |
संजीवन | - | पुनुरुज्जीवन. |
सरा | - | झरा. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.