भक्तीभाव हा घ्या सेवा
भक्तीभाव हा, घ्या सेवा; रुचिर रूप तपनांत तापवा; गोड गोड मज बोलवा ॥
अमर कलांसी मम देह धरी, सत्य सत्य त्या राबवा ॥
अमर कलांसी मम देह धरी, सत्य सत्य त्या राबवा ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | मास्टर कृष्णराव |
स्वर | - | बालगंधर्व |
नाटक | - | मेनका |
राग | - | काफी |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | कोन गावको छोरा |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
तपन | - | सूर्य. |
रुचिर | - | मोहक, सुंदर. |
Please consider the environment before printing.
कागद वाचवा.
कृपया पर्यावरणाचा विचार करा.