बासरी ही भान हरी
बासरी ही भान हरी
नादवि मनि मधु सुखलहरी
धुंद हृदय करि मुरलीचा
छंद सदा सुखकारी
सेविति अवघ्या ब्रह्मानंदा
गोकुळच्या नरनारी
मनमोही सखि हा श्रीहरी
नाचवि भुलवि मुरारी
फिटली अभिलाषा संसारी
मिटली चिंता सारी
त्रिभुवनसुंदर कान्हा नटवर
गोवर्धन गिरिधारी
लीला दावी जगा तारी
मंगल कुंजविहारी
नादवि मनि मधु सुखलहरी
धुंद हृदय करि मुरलीचा
छंद सदा सुखकारी
सेविति अवघ्या ब्रह्मानंदा
गोकुळच्या नरनारी
मनमोही सखि हा श्रीहरी
नाचवि भुलवि मुरारी
फिटली अभिलाषा संसारी
मिटली चिंता सारी
त्रिभुवनसुंदर कान्हा नटवर
गोवर्धन गिरिधारी
लीला दावी जगा तारी
मंगल कुंजविहारी
गीत | - | स. अ. शुक्ल |
संगीत | - | |
स्वर | - | संजीवनी मराठे |
गीत प्रकार | - | हे श्यामसुंदर |
कुंजविहारी | - | कृष्णाचे एक नाव. |
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