अनासक्त झाले जयाचे हृदय
अनासक्त झाले जयाचे हृदय
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
राग-द्वेष ज्याचा पावला विलय
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
पाप-पुण्यातीत जयाचे हृदय
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
राहे तो निर्भय नित्य जो जागृत
मायादेवीसुत सांगे जगा
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
राग-द्वेष ज्याचा पावला विलय
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
पाप-पुण्यातीत जयाचे हृदय
तो एक निर्भय तिन्ही लोकी
राहे तो निर्भय नित्य जो जागृत
मायादेवीसुत सांगे जगा
गीत | - | पंत महाराज बाळेकुंद्री(कर) |
संगीत | - | यशवंत देव |
स्वर | - | गोविंद पोवळे, आणि सहगायक |
गीत प्रकार | - | भक्तीगीत |
सुत | - | पुत्र. |
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