अचला विचला दाविल तव
अचला विचला, दाविल तव अचुक पद मार्गाला ॥
दिसत पंथ बहु, संशय आला; अचल धर्म तव प्रेमाला ॥
दिसत पंथ बहु, संशय आला; अचल धर्म तव प्रेमाला ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | भास्करबुवा बखले |
स्वर | - | बालगंधर्व |
नाटक | - | स्वयंवर |
राग | - | ललत |
ताल | - | त्रिवट |
चाल | - | भावेंदा यारदा जोबन |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
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