आला जो मज प्रेमें वराया
आला जो मज प्रेमें वराया ।
कां न करी सुशिला निज जाया ॥
कुमुदमोहें पंकांत दिसला ।
करि मग विमल, शशि तो कमला ॥
कां न करी सुशिला निज जाया ॥
कुमुदमोहें पंकांत दिसला ।
करि मग विमल, शशि तो कमला ॥
गीत | - | कृ. प्र. खाडिलकर |
संगीत | - | गंधर्व नाटक मंडळी, हिराबाई बडोदेकर |
स्वराविष्कार | - | ∙ बालगंधर्व ∙ हिराबाई बडोदेकर ( गायकांची नावे कुठल्याही विशिष्ट क्रमाने दिलेली नाहीत. ) |
नाटक | - | विद्याहरण |
राग | - | सिंधुरा |
ताल | - | दीपचंदी |
चाल | - | कान्हा ये सखि नंद महलमे |
गीत प्रकार | - | नाट्यसंगीत |
कुमुदिनी | - | श्वेतकमळाची वेल. |
जाया | - | पत्नी. |
पंक | - | चिखल. |
विमल | - | स्वच्छ / निर्मल / पवित्र / पांढरा / सुंदर. |
शशी | - | चंद्र. |
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